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रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (आरडीएस) उन शिशुओं में होता है जिनके फेफड़े पूरी तरह विकसित नहीं होते जिससे उन्हें सांस लेने में परेशानी होती है। नवजात शिशुओं को आसानी से सांस लेने में सक्षम बनाने के लिए, फेफड़ों में हवा की थैलियां खुली और हवा से भरी रहनी चाहिए। आम तौर पर, फेफड़े सर्फेक्टेंट नामक पदार्थ का उत्पादन करते हैं जो फेफड़ों की थैलियों पर परत चढ़ा देता है। फेफड़ों में पर्याप्त सर्फेक्टेंट न होने पर आरडीएस होता है। आरडीएस के लक्षण क्या हैं? जटिलताएँ क्या हो सकती हैं? आइए जानते हैं नवजात शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ आशुतोष कपूर से।
इस वीडियो में है,
क्या है नवजात शिशुओं में रेस्पिरेटरी डिस्आर्डर? (0:00)
सांस लेने में समस्या होने के कारण (0:38)
सांस लेने में दिक्कत होने के लक्षण (2:52)
सांस की समस्या को कैसे ठीक किया जाता है? (4:35)
क्या दोबारा हो सकती है सांस लेने में तकलीफ़? (5:59)
क्या भविष्य में जटिलताएं हो सकती हैं? (6:35)
रेस्पिरेटरी डिस्आर्डर से बच्चों को कैसे बचाएं? (9:11)
Respiratory Distress Syndrome (RDS) mostly affects premature babies because their lungs are not fully developed. It happens because they don’t make enough surfactant, a substance that helps keep their lungs open. Babies with RDS breathe quickly, have trouble breathing. What causes Breathing Problems in Children / Respiratory Distress Syndrome? How to treat Let’s know from Dr Ashutosh Kapoor, a Neonatologist.
In this Video,
What is Respiratory Distress Syndrome (RDS) in Children? in Hindi (0:00)
Causes of Breathing Problems in Children / Respiratory Distress Syndrome, in Hindi (0:38)
Symptoms of Breathing Problem in Children / Respiratory Distress Syndrome, in Hindi (2:52)
Treatment of Breathing Problems in Children / Respiratory Distress Syndrome, in Hindi (4:35)
Can Breathing Problems in Children / Respiratory Distress Syndrome recur in children? in Hindi (5:59)
Complications of Breathing Problems in Children / Respiratory Distress Syndrome, in Hindi (6:35)
How to protect Children from Respiratory Distress Syndrome? in Hindi (9:11)
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